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विश्वे॑ देवास॒ आ ग॑त शृणु॒ता म॑ इ॒मं हव॑म्। एदं ब॒र्हिर्नि षी॑दत॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

viśve devāsa ā gata śṛṇutā ma imaṁ havam | edam barhir ni ṣīdata ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

विश्वे॑। दे॒वा॒सः॒। आ। ग॒त॒। शृ॒णु॒त। मे॒। इ॒मम्। हव॑म्। आ। इ॒दम्। ब॒र्हिः। नि। सी॒द॒त॒॥

ऋग्वेद » मण्डल:2» सूक्त:41» मन्त्र:13 | अष्टक:2» अध्याय:8» वर्ग:9» मन्त्र:3 | मण्डल:2» अनुवाक:4» मन्त्र:13


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर अध्यापक और अध्येताओं के विषय को कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (विश्वे) सब (देवासः) विद्वानो ! तुम (आ,गत) आओ और (इदम्) इस (बर्हिः) उत्तमासन पर (निषीदत) बैठो (मे) और मेरे (इमम्) इस (हवम्) ग्रहण करने योग्य शब्दार्थसम्बन्ध को (आ,शृणुत) अच्छे प्रकार सुनो ॥१३॥
भावार्थभाषाः - विद्यार्थी जन पढ़ानेवालों से यह कहें कि आप यहाँ आइये, सर्वोत्तम आसन पर बैठ के हमने जो शास्त्र पढ़े, उनमें परीक्षा कीजिये ॥१३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनरध्यापकाऽध्येतृविषयमाह।

अन्वय:

हे विश्वे देवासो यूयमा गतेदं बर्हिर्निषीदत म इमं हवमाशृणुत ॥१३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वे) सर्वे (देवासः) विद्वांसः (आ) (गत) गच्छत (शृणुत) अत्र संहितायामिति दीर्घः। (मे) मम (इमम्) (हवम्) आदातव्यं शब्दार्थसम्बन्धाऽध्ययनम् (आ) (इदम्) (बर्हिः) उत्तमासनम् (नि) नितराम् (सीदत) उपाध्वम् ॥१३॥
भावार्थभाषाः - विद्यार्थिनोऽध्यापकान् प्रत्येवं ब्रूयुर्भवन्तं इहागच्छन्तु सर्वोत्तमासने स्थित्वाऽस्माभिरधीतानां शास्त्राणां मध्ये परीक्षां कुरुत ॥१३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - विद्यार्थ्यांनी अध्यापकांना हे म्हणावे की तुम्ही इथे येऊन सर्वोत्तम आसनावर बसून आम्ही शिकलेल्या शास्त्राची परीक्षा घ्या ॥ १३ ॥